30 मई 2007

वॉइस ऑफ़ इंडिया आभास जोशी

वाइस ऑफ़ इंडिया की दोड़ में आभास जोशी आगे होते जारहे हैं .मध्य प्रदेश का गौरव आभास का दिल त्याग की भावना से लबालब है....! छोटी उम्र मे आभास बावरे फकीरा के प्रोजेक्ट को बड़ी मेहनत से अपने भाई और संगीतकार श्रेयस के साथ पूरा किया है ....

25 मई 2007

आभास जोशी बावरे फकीरा के गायक




देह राग से गीत अटे हैं

देह राग से अटे हैं ,जिधर भी देखो जिस्म सजे हैं
नकली मुस्कानों के डेरे,हर चेहरे पे आज लगे हैं !
ये व्यापारिक जीवन देखो ,योगी महलों के वासिंदे
ज्ञानी, ध्यानी, आम आदमी -केवल अदने से कारिन्दे !!
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पत्थरों का शहर

मेरे शहर के बारे में कहा गया है
"खदानों के पत्थर जो अनु मानते हैं
मेरे घर को वो ही पहचानते हैं "

प्राप्ति और प्रतीति

प्राप्ति और प्रतीति
परिंदों,
तुम् आज़ाद हो,

उड़ो,
ऊँचे
और ऊँचे,
जहाँ
सफलता का दृश्य,
बाट जोहता है।
जहाँ से कोई योगी,
पहले पहल सोचता है ?
इस आव्हान का असर,

एक पाखी ने फड़फड़ाए पर,
टकराकर, जाने किस से -गिर गया -!
विस्तृत बयाबान में....!,
तब
से अब तक
हम,आप और !!
ताड़ के पत्तों से,
किताबों के जंगल तक

-अन्वेषणरत-
खोजते
कराहों का कारण।

जितेन्द्र जोशी मेरे मित्र


ये श्रीमान खो गए हैं !!
कहीं आदमी तो नहीं हो गए हैं !!

22 मई 2007

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!
"मुकुल"

15 मई 2007

समयांतर

प्रगतिशीलता और मध्य वर्ग के बीच के नातों
की समीक्षा करते ये वागविलासी अब तो गांधी की लकड़ी पकड़ कर दौड़ने को मजबूर हो गए लगाए हें , मेरी बाल सुलभ वृतियों ने पूछने को मजबूर किया -"भाई साहब गांधी अब ज़रूरी क्यों ?"
वो तो पहलेसे ही थे ।
तो
आपको आज याद आया मध्य वर्ग का बच्चा बच्चा पहले से ही जानता है !
"भाई साहब गलत बात करना बंद करो मध्यवर्ग गांधी को सोच भी नहीं पाता
भयी ! आप किस मुगालते में हें ?
सच ही है जब से विजय बहादुर जीं
सोचने लगे हें तब से ही गांधी को गांधी मानिये जैसा वो कहें वैसा ही सोचिये ?
आईना रूबरू आईने के हो जाए जरा
बात दौनों की चली जाये बहुत गहरे में

13 मई 2007

बावरे फकीरा


A TRIBUTE TO SHIRDEE SAI BABA
DEVOTIONAL ALBUM
"BAWARE FAQEERA"
VOICE :- *AABHAS JOSHI {Jabalpur}
*SANDEEPA PARE {Indore}
MUSIC:- *SHREYASH JOSHI {Jabalpur}
LYRICS:- *GIRISH BILLORE"MUKUL"{Jabalpur}
sairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsai
THIS DEVOTIONAL ALBUM WILL CONTRIBUTE
FOR THE DISABLED CHILDREN SUFFERING FROM
POLIO
COME FORWARD
FOR THIS CHARITY CAUSE & CONTRIBUTE
FOR THE SUCCESS OF THE ALBUM
sairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsaira
PL.FORWARD THIS INFORMATION
TO YOUR
"FRIENDS/RELATIVES/ORGANISATION(S)
GROUP/SAI-BHAKT ETC".
********************
FOR FURTHER DETAILS & YOUR SUGESSTIONS
CONTACT
[1] girishbillore@gmail.कॉम
[2] wcd_jab@yahoo।com.
[3] girish_billore@rediffmail।com
[4] PHONE 09926471072
[5] PHONE 09424604554

sairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsaira

इश्क कीजे सरेआम खुलकर कीजे
भला पूजा भी कोई छिप छिप के
किया करता है

12 मई 2007

सूत कट न सके भोंथरी धार से,



सूत कट न सके भोंथरी धार से,
सो गले गस दिए फूलों के हार से।

बोलिए किससे जाके शिकायत करें-

घूस लेने लगे फूल कचनार के।

आँख सावन-सी झरती इसी बात में।

10 मई 2007

बावरे फकीरा




A TRIBUTE TO SHIRDEE SAI BABA DEVOTIONAL ALBUM
"BAWARE FAQEERA"





Hamako...Dharm,Sampradaay,jaise shabdon ke arth kee janakaaree nahee hai....!!


HAMARA DHARM MANAV SEVA KE ALAAWA OR KUCHH BHEE NAHEE HAI...!


EK ABHAS BAAWARE FAQEERA EEM KAA

1 मई 2007

माँ

माँ
छाँह नीम की तेरा आँचल,
वाणी तेरी वेद ऋचाएँ।
सव्यसाची कैसे हम तुम बिन,
जीवन पथ को सहज बनाएँ।।
कोख में अपनी हमें बसाके,तापस-सा सम्मान दिया।।

पीड़ा सह के जनम दिया- माँ,साँसों का वरदान दिया।।
प्रसव-वेदना सहने वाली, कैसे तेरा कर्ज़ चुकाएँ।।
ममतामयी, त्याग की प्रतिमा-ओ निर्माणी जीवन की।

तुम बिन किससे कहूँ व्यथा मैं-अपने इस बेसुध मन की।।
माँ बिन कोई नहीं,सक्षम है करुणा रस का ज्ञान कराएँ।